न तू अजनबी है न मैं तेरे लिए अजनबी रूह से महसूस कर, ज़रा इस रिश्ते को। न तू अजनबी है न मैं तेरे लिए अजनबी रूह से महसूस कर, ज़रा इस रिश्ते को।
फिर बसन्त की आहट आई हर जगह फ्योंली मुस्काई फिर बसन्त की आहट आई हर जगह फ्योंली मुस्काई
प्रकृति और मनुष्य का साहचर्य प्रकृति और मनुष्य का साहचर्य
कोरोना महामारी को है हराना, तो अपनानी पड़ेगी ये तन्हाई। कोरोना महामारी को है हराना, तो अपनानी पड़ेगी ये तन्हाई।
बहुत हो चुकी छेड़खानी प्रकृति से कुछ तो खामियाजा चुकाना पड़ेगा, बहुत हो चुकी छेड़खानी प्रकृति से कुछ तो खामियाजा चुकाना पड़ेगा,
हम सभी उनकी दुनिया में रहते हैं, जिन्हें हम कभी देख नहीं पाते हैं। हम अपनी प्रार्थना से उन्हें पुकार... हम सभी उनकी दुनिया में रहते हैं, जिन्हें हम कभी देख नहीं पाते हैं। हम अपनी प्रार...